Posts

Showing posts from December, 2024

वर्णाश्रम आपकी सहयोगिनी तय करेगी

स्वामी निश्चलानंद सरस्वती गोवर्धन मठ पुरी ने एक बार बताया था की ब्राह्मण को 4 वर्ण मे चुनाव का अधिकार है. क्षत्रिय को सन्यास छोडके 3 वर्णमे चुनाव का अधिकार है. वैश्य को सन्यास तथा वानप्रस्थ का अधिकार नाही हे. शूद्र को ही गृहस्थश्रम चलाने का अधिकार तथा जिम्मेदारी है. अब ये 2 तरीके से आगे बढा सकते है. अगर आप शंकराचार्य जी के भांति माता से अनुमति लेकर गृहस्थाश्रम प्रवेश से पूर्व ही संन्यास को स्वीकार का लेते हैं तो आपको अन्य 3 भी आश्रमों से मुक्ति मिल जाएगी। पर अनुमति माता से लेनी होती है जो कि सहज नहीं होती. शंकराचार्य भी मगरमच्छ से बच निकले तब अपने जीवन का उद्देश्य माता को समझा सके कि मुझे भी पूरी दुनिया को किसी मकड़जाल से बाहर निकलना होगा। अगर आप बुद्ध के भांति गृहस्थाश्रम में मृत्यु को देखकर दुख को देखकर यही परम सत्य है और स्वयं प्रकाशित बननेकी अष्टांग मार्ग की बुनियाद को समझते है तो आपके लिए वानप्रस्थाश्रम खुले होंगे। अगर आप तुकाराम महाराज,  मुंशी प्रेमचंद, या कोई भी दानी सेठ को देखोगे तो उन्होंने गृहस्थाश्रम में ही परमार्थ को पा लिया है. और अनेकों भक्ति संप्रदाय में संत मिलेंगे ...