स्वर्णिम काल और भारत

भारत आज उस स्वर्णिम काल  में हैं जैसा काल इराक में सद्दाम हुसैन के समय था और लीबिया गद्दाफी के समय था | 
भारतीयों को दो चीजों से अपना बचाव करना है 
१ )किसी भी समय कोई ऐसा निर्णय हो जो बनियो के देश को (USA) अडचण पैदा करे क्योकि वो किसी का सगा नहीं है  | 
२) जो गलतिया इराक और लीबिया से हुयी उससे सिख लेके कोई भी ऐसी गलती जनता द्वारा न हो जो फिर ये निचे के शब्द सही हो 


“Hard times create strong men. Strong men create good times. Good times create weak men. And, weak men create hard times.”  G. Michael Hopf, Those Who Remain

"कठिन समय मजबूत आदमी बनाता है। मजबूत पुरुष अच्छे समय का निर्माण करते हैं। अच्छा समय कमजोर आदमी बनाता है। और, कमजोर पुरुष कठिन समय का निर्माण करते हैं। ये ऊपर लिखा है जो सच है 

उदहारण के लिए  अगर बोले तो नेहरूजी ने शास्त्री और इंदिरा जी को बनाया इंदिरा और राजीव जी ने अगली छोटे समय वाली श्रृंखला बनायीं और मनमोहन सिंहजी तक चली और मनमोहन सिंह जी के बाद ही मोदीजी बने अगर ये सच है तो मोदीजी ही किसी और को जो कठिन समय बनाएगा  उसे बनाएंगे क्योकि समय ही चलता रहता है। 

पुराने समय का फ्रेंच राज्यक्रांति का उदाहरण है नेपोलियन बड़ा सेनापति बना और उसने राजसत्ता का पतन कर दिया लेकिन उसके  बाद फ्रांस में बोरबॉन राजशाही की वापसी  हुई कुछ बुनियादी परिवर्तन के साथ । 
भारतीयों को ये भली भांति पता है और वो इसे याद रखके अपना चुनाव करेंगे।

आगे शक्ति का विकेंद्रीकरण (separation of power)  इसके बारे में बात करते है। 
हम जहा से है वह देवेंद्र फडणवीस नाम के गृहमंत्री है जो पेशे से वकील है और वो विधानसभा के सदस्य भी है। ध्यान से देखा जाये तो ऐसे लोग कभी भी किसी भी समय अपना तीनो में से एक कौशल्य उपयोग करके काम पूरा कर सकते है मगर वो कौशल्य काम न हो इसके लिए उपयोग करे तो ये जनता के लिए संकट हो सकते है और ये लोग शक्ति के विकेन्द्रीकरण को भी खतरा हो सकते है। 
किसी भी समय राजा कोई भी हो देश में शांति और सौहार्द रहना चाहिए। किसी का काम पूरा नहीं हुआ ऐसी चीजे क्रांति की और अग्रेसर होती है।  फिर भी भारतीयों की सहनशीलता के जग में चर्चे है  वो बात अलग है। 

 ये ७ साल पहले लिखा गया है पर आज और भविष्य में भी लागु होगा। 


शिवम प्रल्हाद तौर
राहणार: शेलगाव  तालुका: माजलगाव  जिल्हा: बीड  राज्य :महाराष्ट्र  देश: भारत
वसुन्धरैव कुटुम्बकम   

      

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