भारत और मेक्सिको में फरक

आज मैं इस बात को जान के हैरान हु के अमरीका ने चीन से दूरियां बढ़ाने के लिए मेक्सिको को अपना सबसे बड़ा हिस्सेदार बनाया है ।
एक बात इतिहास से है की जैसे आज POK और अरुणाचल, लद्दाख की बाते होती है वैसीही बाते कही सदियों पहले अमरीका और मेक्सिको को लेके होती थी ।
बस फरक इतना है की अमरीका ने जैसे तैसे टेक्सास ले लिया । पर आज भविष्य में देखिए अमरीका सबसे ज्यादा कच्चे माल और फैक्ट्री के लिए मेक्सिको पे निर्भर है । और अमरीका पैदाईशी बनियो का देश है बस चीन और अमरीका में फरक ये है की पेंटागन प्रेसिडेंट नही कुछ व्यापारी चलाते हैं। 
अगर मजे की बात समझे तो जिस प्रकार अमरीका का कैनेडा का प्यार है वैसे चीन और रशिया का प्यार है।
जैसे मेक्सिको के नीचे पूरा दक्षिण अमरीका खंड है वैसे भारत के लिए लंका इंडोनेशिया और अफ्रीका है ।
जैसे अमरीका के लिए यूरोपिय देश है वैसे हमारे लिए अरब और अन्य देश है जो आए दिन हमारे देश में कॉलोनी बसाने के सपने देखते है।
क्यों की यह वो धरती है जहा पानी और खाने की समस्या कम से कम है ।
आज भी अगर कोई भारत से यूरोप जमीन से जाने की सोचे तो पाकिस्तान और तुर्की से जाना पड़ेगा ।
इसलिए भारत ने इसराइल से दूरियां कम करते हुए वो रास्ता बायपास करना चाहा जो की हमारी व्यवहारिक सोच बताती हैं।

तो हमारे लिए जितना यूरोप को इस्तानबुल या कंस्टेंटिन उतना महत्व है इजराइल का है ।
हमारा प्रवेशद्वार होगा यूएई और साऊदी अरब।
1947 में जो भारत तीसरी दुनिया का नेतृत्व करता था वो आज भी अपने हिसाब नही भुला है । 
आज भी 1लाख लोग इसराइल और 1 लाख लोग ताइवान को भेजने की कम से कम बात होती है इसका मतलब उतना हमारा हक और जिम्मेदारी हम मानते है ।
रही बात राष्ट्र कुल की तो भारत हमेशा मित्र देशों का समर्थन पाएगा और करेगा क्योंकि ऑस्ट्रेलिया, कैनेडा, ये देश भारत से सच में किस विषय में भी आगे हो ।
सांस्कृतिक मूल्यों में कुछ गिरावट आई है राष्ट्र कुल के वजह से पर भारत में मूल्य घर पर होते है और शिक्षा स्कूलों में तो मूल्य गिरे नही है । 
और भारत को 2024 से 2029 में बहुत प्रैक्टिकल रहना पड़ेगा । 
हम भारतवासी अगर चाहे तो जर्मनी और फ्रांस जैसी टेक्नोलॉजी को आत्मसात कर सकते है ।
पर जरूरत और हवस मैं हम को फरक करना आता है ।
अगर फ्रांस से विमानों की और जर्मनी न्यूक्लियर की टेक्नोलॉजी हम पहले भी लेते आए है । ( नंबी नारायण मूवी देख लेना )
जापान और कोरिया हमारे ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रनिकी उद्योग के साथी है। 
फार्मा, हेल्थ केयर और मेडिकल ये हमारे और चीन के कोर सेक्टर है
खेती मैं हम अभी भी है और हमारे साथ इसराइल, अफ्रीका खंड और अन्य साउथ एशिया के देश है।
 ( मसाले और खाना ये हमारे पास और चीन के पास भरपूर है)
अब बाते करते है चुनौतियों की । अगर हम अन्न सुरक्षा और भूमि अधिग्रहण अभी जो है वो बदलना चाहे तो पूरी दुनिया में उस बात का असर पड़ेगा।
पर फिर भी अफ्रीका यूनियन अगर जी21 का हिस्सा है तो हम अन्न को सुरक्षित मान के चलते है ।
बदले में हम वहा infrastructure development  करते हुए आगे बढ़ेंगे।
ईरान , तुर्की , पाकिस्तान ये अगर खुद को चीन को तरह धर्माहीन देश बनाए जो की लगभग असम्भव है पर हो जाए तो वहा लोग टीके रहेंगे वरना लोगोने एक तिहाई पेरिस सुना किया है वहा ये देश सुने पड़ जाए तो कोई बड़ी  बात नहीं होगी ।
अगर बात करे टूरिज्म की तो हमारे गांव के मेले जैसा माहौल अभी सभी जग में है क्योंकि लोग अभी तो जड़वाद से पूरी तरह घिरे है ।
जो समय होगा युद्ध का जब लोगो की लगभग सारी चीजे खतम हो जाती है तब लोग बढ़ते है पुनः बैराग की और ।
जितने बड़े नाम है उन्होंने दोनो चीजे देखी है हद से आगे विकास और फिर पूरा विध्वंस ।
आज फिर एक नई बात बताता चलूं
पूरी दुनिया में एक रंग है फैला कृष्ण जिसका नाम (infrared rays which are enormous part of whole universe be like lord Krishna)
विश्व है हमारी मर्यादा जो लगे निलंबुज राम (like sky & lord Rama which is blue or ultra violet which is human yield of visible range)
धरा पर करपुरगौर करुणावतार शिव जैसा है ये भारत देश जहा सभी पूजे जाते है । जैसे सूरज सभी सात रंगों को एकसाथ मिलाकर पाओगे। जहा से सारी सभ्यताओं को एक साथ पाओगे( like lord Shiva in white colour ,we are in Bharat where all can worship and like white colour of sun where all rays come together to create white beam)।


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